राम नवमी में भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेगी सूर्य की किरणें

राम नवमी में भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेगी सूर्य की किरणें

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Sun touches Ram’s forehead on Ram Navmi


अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। मंदिर के निर्माण में कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इनमें से एक है सूर्य तिलक तंत्र। इस तंत्र के तहत हर साल राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग 6 मिनट के लिए सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी।

सूर्य तिलक तंत्र को सीएसआईआर-सीबीआरआई (केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान) द्वारा विकसित किया गया है। इस तंत्र को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि सूर्य की किरणें हमेशा भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी, भले ही सूर्य की स्थिति में कोई बदलाव हो।

इस तंत्र में एक गियर बॉक्स, रिफलेक्टिव/लेंस और पीतल ट्यूब का इस्तेमाल किया गया है। गियर बॉक्स का इस्तेमाल सूर्य की स्थिति को ट्रैक करने के लिए किया जाता है। रिफलेक्टिव/लेंस सूर्य की किरणों को फोकस करते हैं और पीतल ट्यूब उन्हें गर्भ गृह तक पहुंचाती हैं।

सूर्य तिलक तंत्र एक अनोखी और आधुनिक तकनीक है जो राम मंदिर की धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को और बढ़ाती है। यह तंत्र यह भी दर्शाता है कि भारत में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल सदियों पुरानी धार्मिक परंपराओं को संरक्षित करने के लिए किया जा सकता है।

राम मंदिर के निर्माण में हुई अन्य तकनीकी उपलब्धियां

राम मंदिर के निर्माण में कई अन्य तकनीकों का भी इस्तेमाल किया गया है। इनमें से कुछ प्रमुख तकनीकें हैं:

भूकंपरोधी तकनीक: राम मंदिर को भूकंपरोधी बनाने के लिए विशेष तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर की नींव को 50 मीटर गहरी खोदी गई है और इसमें 12,000 से अधिक स्तंभों का इस्तेमाल किया गया है।

वास्तुकला: राम मंदिर की वास्तुकला भगवान राम के जीवन और आदर्शों को दर्शाती है। मंदिर का गर्भ गृह भगवान राम की मूर्ति के लिए आरक्षित है। इसके चारों ओर एक दीर्घा है जिसमें भगवान राम के जीवन की कथाओं को चित्रित किया गया है।

सौंदर्यीकरण: राम मंदिर को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर की दीवारों और छतों को सुंदर नक्काशी और चित्रकारी से सजाया गया है।

राम मंदिर का निर्माण एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह मंदिर भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत का प्रतीक है। राम मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल की गई आधुनिक तकनीकें इस बात का प्रमाण हैं कि भारत में आधुनिकता और परंपरा का समन्वय संभव है।

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