S Jaishankar meets Vladimir Putin: जयशंकर से मिलने के लिए पुतिन ने तोड़ दी रूस की परंपरा

S Jaishankar meets Vladimir Putin

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस के पांच दिवसीय दौरे पर हैं इस दौर में बुधवार को उनकी मुलाकात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से हुई| पुतिन सामान्य तौर पर अपने समकक्षों से मुलाकात करते हैं लेकिन इस परंपरा को तोड़ते हुए उन्होंने बुधवार को भारत के विदेश मंत्री से मुलाकात की|

जयशंकर से पुतिन की मुलाकात को इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि जयशंकर के लिए रूस कोई अनजाना मुल्क नहीं है वह रूस में भारत के राजदूत भी रह चुके हैं

इस मुलाकात के दौरान पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस आने का निमंत्रण भी दिया है|

उन्होंने कहा “प्रिय मित्र और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस का दौरा करेंगे तो हमें बेहद खुशी होगी हम सभी समसामयिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे और भारत रूस के रिश्तों पर विस्तार से भी बात करेंगे| दोनों ही देश के सामने मिलकर और व्यापक स्तर पर साथ काम करने का बहुत गुंजाइश है, तो आप उन्हें मेरा संदेश दीजिएगा और बताइएगा कि हम यहां रूस में उनका इंतजार कर रहे हैं| यह जानते हुए की आने वाला साल राजनीतिक दृष्टिकोण से भारत के लिए बेहद व्यस्त होने वाला है|”

पुतिन ने कहा “हम अपने मित्र की जीत की कामना करते हैं”

पीएम मोदी ने जयशंकर के माध्यम से रूस के राष्ट्रपति पुतिन के लिए एक पत्र भेजा था जिसका जिक्र उन्होंने इस बैठक के दौरान किया|

“मैं प्रधानमंत्री मोदी का अभिवादन आप तक पहुंचाना जाता हूं और उन्होंने मेरे माध्यम से आपके लिए एक संदेश भी भिजवाया है एक पत्र जिसके माध्यम से उन्होंने दोनों देशों के बीच के संबंधों को लेकर अपनी भावनाएं जहर की है और उसे विकास के बारे में जो दोनों देशों ने साथ बढ़ते हुए हासिल किया है वह पीएम मोदी अगले साल रूस की यात्रा को लेकर आशॉन्वित है मैं अस्वस्थ हूं कि हम बैठक की ऐसी तारीख तय कर पाएंगे जो दोनों देशों की राजनीतिक कैलेंडर के हिसाब से ठीक हो”

रूस में भी अगले साल राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसा माना जा रहा है कि पुतिन पांचवीं बार भी राष्ट्रपति बन सकते हैं| बैठक के दौरान दोनों ही नेताओं के बीच अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम के बीच भारत-रूस संबंध, कारोबार और युक्रेन के मुद्दे पर भारत के रुख की भी चर्चा हुई|

रूस ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों के बीच कारोबार में बढ़ोतरी की जाए यह केवल तेल कोयला और ऊर्जा से संबंधित उत्पादों पर तक ही सीमित ना रहे बल्कि हाईटेक मामलों में भी संबंध को आगे बढ़ाने की जरूरत है|

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