अंतरिम बजट और सामान्य बजट: समझिए अंतर
भारत में हर साल बजट पेश किया जाता है, जो सरकार द्वारा आगामी वित्तीय वर्ष के लिए राजस्व और व्यय का अनुमान लगाता है। यह नीतिगत दिशा-निर्देशों और आर्थिक लक्ष्यों का भी खाका तैयार करता है। आम तौर पर, बजट फरवरी में पेश किया जाता है।
लेकिन, कुछ मामलों में, एक अंतरिम बजट पेश किया जाता है। यह आमतौर पर लोकसभा चुनावों के साल में होता है, जब नई सरकार के गठन से पहले बजट पेश करने की आवश्यकता होती है।
अंतरिम बजट क्या है?
अंतरिम बजट एक अस्थायी बजट है जो चुनावी वर्ष के दौरान पेश किया जाता है। यह सरकार को अगले कुछ महीनों के लिए आवश्यक खर्चों को पूरा करने के लिए धन आवंटित करने की अनुमति देता है।
सामान्य बजट से अंतर:
अंतरिम बजट और सामान्य बजट के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं:
- समय: सामान्य बजट फरवरी में पेश किया जाता है, जबकि अंतरिम बजट चुनावी वर्ष में पेश किया जाता है।
- अवधि: सामान्य बजट पूरे वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) के लिए होता है, जबकि अंतरिम बजट केवल कुछ महीनों (आमतौर पर 4) के लिए होता है।
- विवरण: सामान्य बजट में सरकार की राजस्व और व्यय का विस्तृत विवरण शामिल होता है, जबकि अंतरिम बजट में केवल आवश्यक खर्चों का विवरण होता है।
- नई योजनाएं: सामान्य बजट में सरकार नई योजनाओं की घोषणा करती है, जबकि अंतरिम बजट में आमतौर पर कोई नई योजना नहीं घोषित की जाती है।
- चर्चा: सामान्य बजट पर संसद में विस्तृत चर्चा होती है, जबकि अंतरिम बजट पर बिना किसी चर्चा के पारित किया जाता है।
निष्कर्ष:
अंतरिम बजट एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो सरकार को चुनावी वर्ष के दौरान वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है। यह सरकार को आवश्यक खर्चों को पूरा करने के लिए धन आवंटित करने और आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने की अनुमति देता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अंतरिम बजट एक अस्थायी उपाय है। यह सामान्य बजट का विकल्प नहीं है।
यहां कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
- अंतरिम बजट को “वोट ऑन अकाउंट” भी कहा जाता है।
- अंतरिम बजट में सरकार करों में कोई बदलाव नहीं करती है।
- अंतरिम बजट में सरकार आमतौर पर केवल मौजूदा योजनाओं के लिए धन आवंटित करती है।
उम्मीद है कि यह जानकारी उपयोगी है।
अगर आपके कोई और प्रश्न हैं, तो कृपया मुझे बताएं।